आजादी से पहले के सिंधी साहित्य पर गांधीवाद की छाया : विनोद आसुदाणी :हिन्दुस्थान समाचार 09 Aug 2021

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-आजादी के अमृत महोत्सव पर साहित्य अकादमी के दो दिवसीय सम्मेलन का समापन

नई दिल्ली, 09 अगस्त (हि.स.)। साहित्य अकादमी के तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव पर मुंबई में आयोजित “साहित्य और भारत छोड़ो आंदोलन” विषयक दो दिवसीय सम्मेलन का सोमवार को समापन हो गया। आज का प्रथम सत्र “देशभक्तिपूर्ण साहित्य : अवधारणा, प्रवृत्ति तथा सौंदर्यशास्त्र” विषय पर केंद्रित रहा। अध्यक्षीय वक्तव्य में मराठी के सुप्रसिद्ध लेखक सदानंद मोरे ने भारत छोड़ो आंदोलन और मराठी समाज एवं साहित्य पर विस्तार से विचार व्यक्त किए। उन्होंने मराठी साहित्य में स्वाधीनता आंदोलन के समय में उपजी विभिन्न वैचारिक धाराओं को रेखांकित किया।

मुंबई के एशियाटिक सोसायटी के दरबार हॉल में आयोजित सम्मेलन में सिंधी साहित्यकार एवं आलोचक विनोद आसुदाणी ने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व सिंधी साहित्य पर गांधीवाद का व्यापक प्रभाव रहा है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के संदर्भ एवं संघर्ष की पृष्ठभूमि पर सिंधी में लिखे गए उपन्यासों का भी उल्लेख किया। तमिल के विख्यात लेखक मालन वी. नारायणन ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अंतिम आंदोलन था, जिसमें भारत के आमजन की सक्रियता के साथ-साथ साहित्यकारों एवं पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आजादी के लिए संघर्ष का यह कालखंड तमिल उपन्यासों में प्रमुखता से रेखांकित हुआ है।

सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता तेलुगु लेखिका एवं आलोचक सी. मृणालिनी ने की। उन्होंने तेलुगु साहित्य का भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान विषय पर विचार साझा किए। पंजाबी लेखक एवं नाटककार सतीश कुमार वर्मा ने “पंजाबी का भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान” विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में पंजाब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पंजाबी लोक साहित्य और कविता के उस दौर में संघर्ष के तत्व तो दिखाई देते ही हैं, साथ ही आंदोलन के लिए जोश और होश का समन्वय भी दिखाई देता है।

ई.विजयलक्ष्मी ने “मणिपुरी का भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान” विषय पर आलेख पढ़ा। हिंदी लेखक एवं आलोचक करुणाशंकर उपाध्याय ने “देशभक्तिपूर्ण साहित्य : अवधारणा, प्रवृत्ति तथा सौंदर्यशास्त्र” विषय पर कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान न केवल हिंदी बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं में देशभक्तिपूर्ण साहित्य का विपुल सृजन हुआ। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सांस्कृतिक, भौगोलिक एवं भाषिक विविधता है, लेकिन उसमें एकता की अंतर्धारा भी समाहित है। उन्होंने इस मौके पर हिंदी के प्रमुख कवियों की देशभक्तिपूर्ण कविताओं का भी उल्लेख किया। इस अवसर पर साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव सहित अनेक साहित्य-संस्कृति प्रेमी श्रोता मौजूद रहे। https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/hindusthan+samachar-epaper-hindusam/aajadi+se+pahale+ke+sindhi+sahity+par+gandhivad+ki+chaya+vinod+aasudani-newsid-n305854448?ss=wsp&s=pa

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Maalan Narayanan

Maalan Narayanan, born on September 16, 1950, is a well-known journalist and media personality who has also received recognition from the Literary Academy. He serves as the mentor of the magazine named “Puthiya Thalaimurai”. Previously, he has worked for prominent Tamil magazines such as India Today (Tamil), Dinamani, Kumudam, and Kungumam. He has also been actively involved in online journalism through platforms like Sun News and as a mentor for the direction of online journalism.